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यादों के झरोखे भाग १

डायरी दिनांक १४/११/२०२२


  शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।


  यदि यादों की बातों को लिपिबद्ध करना हो तब क्या सभी बातों को सही सही लिखा जा सकता है। समय के साथ बहुत सी बातें दिमाग से धूमिल हो जाती हैं। सच्ची बातों पर कुछ कल्पना की परतें भी चढती जाती हैं। किसी भी बात के मूल का आकलन भी हम अपने विचारों के अनुसार ही करते हैं। उसके बाद अक्सर हम अपनी पसंद की बातों का समर्थन करते हैं तथा अपनी पसंद के खिलाफ का विरोध भी। पसंद केवल विचारों की ही नहीं होती है। अपितु व्यक्तियों की भी होती है। अपने पसंदीदा व्यक्ति की हमें सारी बातें सही लगती हैं। जबकि जो हमें पसंद नहीं होता, उसकी अच्छी बातों को भी हम शंका की ही दृष्टि से देखते हैं। यह मानव मन की एक बुराई है जिससे मैं भी अछूता तो नहीं हूँ। पुरस्कृत होने पर गर्व से भर जाना और पुरस्कृत न होने पर निर्णायकों को दोष देना, क्या यह मेरा व्यवहार नहीं है। इसका सीधा सा अर्थ है कि पूरी तरह से निष्पक्ष होना, पूरी तरह से तटस्थ होना, स्थितिप्रज्ञता की स्थिति से तो मैं बहुत दूर हूँ।


  आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म दिन है। आज का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पिछले एक वर्ष से अधिक समय से मैं एक ईपत्रिका का संपादन करता आ रहा हूँ। इस बार ईपत्रिका का बाल अंक प्रकाशित किया गया जो कई लोगों को बहुत पसंद आया।


  पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से साहित्यिक पत्रिकाओं के प्रकाशन में कमी आयी है, उसी तरह से बाल पत्रिकाओं के प्रकाशन में बहुत कमी आयी है। साथ ही साथ आज के बच्चे पत्रिकाओं से दूर होते जा रहे हैं। आज के माता पिता भी बच्चों को अति तनावपूर्ण प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बना रहे हैं। जिस प्रतिस्पर्धा में वे पढ तो रहे हैं पर ज्ञान अर्जित नहीं कर पा रहे। रट तो रहे हैं पर ज्ञान अर्जित नहीं कर पा रहे।


  आज आफिस में एक सहयोगी से बातचीत के क्रम में मैंने बताया कि हिंदी सिनेमा का एक गीत पूरे भारतीय दर्शन को अपने में समेटे हुए है। उन्हें इस पर विश्वास नहीं हुआ। फिर जब मैंने उन्हें वह गीत यूट्यूब पर दिखाया तथा उसके हर बोल को रोककर उन्हें एक बार फिर सुनाया तब वह भी आश्चर्य में पड़ गये। इतने प्रसिद्ध गीत को उन्होंने कभी भी इतने ध्यान से नहीं सुना था। शायद आप लोगों ने भी उस गीत को बहुत बार सुना है। पर एक बार गीत के एक एक शव्द को सुनकर उसका अर्थ सोचें। बातें गहरी हैं - पर समझ में आ जायेंगीं। और वह गीत है - फिल्म कोई मिल गया का गीत - इट्स मैजिक।

    कोयले के ढेर से हीरा भी मिलता है। कूढे के भंडार में कई बार बहुमूल्य रत्न भी मिलते हैं। तो कई बार रत्नों की प्रतिष्ठित दुकान से खरीदे गये रत्न भी नकली होते हैं।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।


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6 Comments

Reena yadav

23-Nov-2022 09:50 PM

बहुत ही सुन्दर...👍

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Palak chopra

15-Nov-2022 01:47 PM

Bahut khoob 😊

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Gunjan Kamal

14-Nov-2022 07:59 PM

बहुत सुंदर

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